ये तुर्फानी राते
ये रात क्या गजब नूर ले के आया है
किसी की याद आती है
ये पलके भींग सी जाती है
वे पल व क्या थे जब तम ें रातो मेरे पास थे
ये रात के गजब नूर ले के आया है
काली सी गनगर सी जाने अब क्या
ले जाएगी , बस तेरे रुक जा थम जा यहाँ
ये रात क्या गजब नूर के ले आया है
मैं प्रीत है तो लफज पे फीकी मुस्कान है
मुस्कान तेरी कातिल है
ये रात क्या जागब नूर ले के आए है
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